कोई मेरे बेटे को बुला दे

पढ़ लिखकर अफसर बनेगा मेरा बेटा कूछ ऐसा मेरा ख्वाब था,
ख्वाइश इसलिए बड़ी थी मेरी कि वो पढ़ने मे लाजवाब था,
उसे बुलंद बनाऊं इसलिये एक तरीका सूझा था ,
अँग्रेजी मे अछा हो वोह इसलिये उसे मैने अमरीका भेजा था,
ऐसा लग रहा था ये जो उसे पढा लिखा कर मै अफसर बना रहा था,
वो दिन रात हमारे कलेजे को पथर बना रहा था ,
वो भूल गया था हमे शायद वहाँ जाकर हम कैसे उसे भूला दे ,
उसकी माँ बीमार है कोई मेरे बेटे को  अमेरिका से बुला दे,
सही सलामत रहे वो इस बात की मै हमेशा दुआ कर रहा था,
पढाई तो कब की पूरी हो चुकी थी उसकी वो ना जाने वहाँ क्या कर रहा था,
कई सालो बाद अफसर जैसा तैश मे कोई अफसर हूबहू आया ,
साथ मे एक मेम सहाब थी वो कह रहा था देख माँ मैं बहू लाया ,
वो पैसे दे देता था खर्चे भरके क्योंकि वो बड़ा अफसर था,
मैं आज भी कर लेता लोहार का काम मैं आज नौकर हूँ और कल भी नौकर था,
शहर मे रहता है मेरा बेटा साल मे एक बार आता है मैं तो बाप हूँ अब चोट उसे कैसे बोलकर भला दूँ ,
जो छोड़कर नही जा रहा था मुझे बाहर पढ़ने कोई ज़रा  उस मेरे बेटे को बुला दे,
अब तो मेरी अर्धांगिनी भी चली गयी ये घर भी मुझे सौतेला सा लगता है,
मैने ही दूर किया था उसे ये मेरी गलती है की मुझे ही घर मे अकेला सा लगता है,
मेरा बेटा चुका देता है दवाई का पैसा जो डॉक्टर के पास उधार सी हो जाती है ,
मैं बूढ़ा अपने बेटे के बगैर ऐसा था जैसे कार पहिये के बगैर बेकार सी हो जाती है,
बस अब तो आस इतनी सी है की देख लू अपने बेटे को की इससे पेहले मुझे मेरी मौत की नींद सुला दे,
अब अमेरिका नही यही शहर मे रहता है वो कोई मेरे बेटे को बुला दे...
पहली बार हिंदी मे दोस्तों...
#100rav
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