तो ये कहानी है सीरिया के सिविल वार यानी कि गृह युद्ध में मै खुदा को सब बताऊंगा ऊपर जाकर कहने वाले बच्चे की है।
जंग की चिंगारी 2011 में लगी। कैसे बगावत हुई उससे पहले आप को बता दें कि वर्ष 2000 में अपने पिता हाफेज अल-असद की जगह सत्ता पर काबिज हुए बशर अल-असद। 2011 में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ बगावत शुरू हुई। अरब के कई देशों में सत्ता के विरोध में बगावत से प्रेरित होकर मार्च 2011 में सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में भी लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन शुरू हुआ। असहमत बशर अल असद ने विरोधियों को कुचलना शुरू किया। जिसके बाद 2012 में गृहयुद्ध चरम पर पहुंच गया, विरोधियों ने हथियार उठा लिए। विद्रोही समूह ने कुछ हिस्सों में समानांतर सरकार बना ली। असद ने इसे 'विदेश समर्थित आतंकवाद' करार दिया। विद्रोहियों और असद सरकार के बीच की लड़ाई और आगे निकल गई। सीरिया की लड़ाई में क्षेत्रीय और दुनिया की ताकतों ने प्रवेश किया। इसमें ईरान, रूस, सऊदी अरब और अमरीकी का सीधा दखल सामने आया। सीरिया दुनिया का एक छद्म युद्ध रण बन गया।
पड़ी शिया बनाम सुन्नी की दरार
बशर अल असद शिया हैं। वहां पर शिया अल्पसंख्यक हैं। सुन्नी मुस्लिम समुदाय करीब 70 प्रतिशत हैं और 13 प्रतिशत हैं शिया, वहीं 10 फीसदी ईसाई और 3 फीसदी हैं डुरूज धर्म को मानने वाले। सीरिया में सांप्रदायिकता भी देखने को मिली और आरोप बाहरी देशों पर लगे। शिया बनाम सुन्नी की भी स्थिति पैदा हुई। शिया बनाम सुन्नी की दरार की वजह से अत्याचार और बढ़ा और हजारों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया।
कौन देश किस की तरफ ?
सीरिया में गृयुद्ध होने के बाद जिहादी संगठन भी वहां जुड़ने लगे। हयात ताहिर अल-शम ने अल क़ायदा से जुड़े संगठन अल-नुसरा फ्रंट से गंठबंधन किया। दूसरी तरफ इस्लामिक स्टेट का उत्तरी और पूर्वी सीरिया के व्यापक हिस्सों पर नियंत्रण हो गया। सरकारी बलों, विद्रोही गुटों, कुर्दिश चरमंथियों, रूसी हवाई हमलों के साथ अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन देशों के बीच संघर्ष शुरू हुआ। यहां आप को बता दें कि तुर्की कुर्द लड़ाकों की संस्था वाईपीजी को आतंकवादी संगठन और प्रतिबंधित राजनीतिक गुट कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी की शाखा मानता है। ईरान, लेबनान, इराक, अफगानिस्तान और यमन से हज़ारों की संख्या में शिया लड़ाके सीरियाई सेना की तरफ से लड़ने के लिए पहुंचे। रूस और ईरान सीरिया की मदद को सामने आए, दोनों देशों ने सीरिया को हथियार और पैसे से मदद की। अमरीका, तुर्की और सऊदी अरब विद्रोहियों का साथ दे रहा है। इजरायल, ईरान के दखल से इतना परेशान है कि उसने कई हिज़ुबुल्ला ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं। असद ने अपना नियंत्रण हासिल करने के लिए विद्रोहियों के कब्ज़े वाले इलाकों में सितंबर 2015 में हवाई हमले शुरू किए। अमरीका का कहना है कि सीरिया को तबाह करने के लिए राष्ट्रपति असद जिम्मेदार हैं। 2014 से लेकर अब तक अमरीका ने सीरिया में कई हवाई हमले किए हैं। हाल ही में रासायनिक हमले में कम से कम 70 लोगों की जान जाने की भी खबर आई है । आरोप राष्ट्रपति बशर पर लगे जिसे उन्होंने खारिज कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि 500 से अधिक लोगों में रासायनिक हमले का असर होने के लक्षण पाए गए हैं।
लेकिन इनके बीच 2013 घौटा , सीरिया में एक जगह जहां अमरीका हवाई हमला करवाता है वो भी ज्वलनशील केमिकल से जिससे बहुत बड़ी मात्रा में लोगो को हानि पहोंचती है तकरीबन 1000 लोगो को लेकिन रिपोर्ट बताता है कि सिर्फ 70 लोग मरे।
लेकिन जैसे की सभी को पता है हम अपनी जिंदगी
जी रहे है और हमें पता है कि हम ऐसी जगह पे है तो मौत कभी भी आ सकती है तो हां आप मौत को कबूल करते हो, लेकिन ये कहानी है उस बच्चे की जिसको मौत कबूल ही नहीं थी उसकी उम्र महज 3 साल और उसने अपने मां बाप को पहले ही खो दिया था। लेकिन वहां जब वो हमला होता है तो बच्चा आख़िरी सांसे लेता है और अपने आख़िरी शब्दों में कहता है कि मै उस खुदा को सब बताऊंगा ऊपर और वो अपनी सांसे तोड़ देता है।
कहानी शुरू होती है यहां जहां बाकी सभी लोगो ने मौत को कबूला और अपने कर्म के अनुसार स्वर्ग और नरक में गए, लेकिन ये बच्चा अपनी आत्मा को यही जमीन पे रखकर अमर हो गया immortal,
अब उसकी मृत्यु हुई तो वो 3 साल का था लेकिन जब आत्मा विचरण करती है इस पाप की दुनिया में तो बहुत कम उम्र में बड़ा तज्जूर्बा पा लेती है तो मानो उसकी आत्मा जमीन पर खुदा का शागिर्द बनकर रह गई।
अब बारी उसकी थी खुदा ने उसे हक दिया कि वो जहां जुल्म होते देखे वहां खुदा कयामत लाएगा लेकिन याद रहे की जुल्म का मतलब सिर्फ इंसानों पे होने वाले जुल्म नहीं बल्कि इस जमीन पे जन्म लिए हर एक जीव का जुल्म।
तो बस अब वो बच्चा निकल पड़ा तलाश में अब वो खुदा का बहुत अज़ीज़ है और उसको ताकते भी बहुत खूब थी तो उसने ढूंढा शहर लुडियन चीन में जहां बेजुबां जानवरो और यहां तक इंसानों पर भी काफी जुल्म हो रहे थे।
2014 जुलाई में यहां जानवरो के साथ इंसानों के भी मांस का काफी प्रचलन था और यह पूरे चीन के लिए केंद्र बिंदु था अब उस बच्चे को ताकत तो भरपूर थी तो बस इतनी बेरहमी देखकर वो
लाता है कयामत अगस्त में 3 तारीख को चीन के लूडियन शहर में आता है 6.1 की तृवता का भूकंप और इसमें 2000 लोग मारे जाते है तकरीबन 5000 लोग घायल होते है लेकिन चीन की सरकार आंकड़ा बताती है कि 617 लोग मारे गए।
उसका पहला अध्याय शुरू होता है और इस अध्याय के कयामत में 2000 लोगो की मौत।
अब ये सिलसिला तो शुरू हुआ था।
दोस्ती ये कहानी मेरे जहन में कहां से आया मुझे पता नहीं पर मेरे दिल मै आ रहा है कि ये आगे इस corona virus से जुड़ेगी तो सपोर्ट कीजिए और दिलचस्पी बताइए अपनी तो फिर एक रात मै बैठकर सोचकर इसको आगे बढ़ाउंगा
#100rav

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