हसीन मत बना
शाम को वो घर से निकले तो
सूरज जमीन पर उतर जाता है,
शराबी ने कितनी भी क्यों ना पी हो
तुम्हे देख ले तो नशा उतर जाता है,
किसी को हसीन बना इस हद तक,
की उसकी हद भी हो कुछ हद तक,
कमबख्त ये मुस्कुराता है तो,
मुझ जैसा शायर भी मर जाता है,
क्या अदा क्या बनावट और
क्या ही खूबसूरती है इसकी,
इसको हंसता देखने के लिए,
कुछ पल वक्त भी ठहर जाता है,
इसका लहजा भी वो लहजा है,
की अब और क्या कहें,
चांद आसमां में सिमट कर,
जैसे रात को अपने घर जाता है
#100rav
सूरज जमीन पर उतर जाता है,
शराबी ने कितनी भी क्यों ना पी हो
तुम्हे देख ले तो नशा उतर जाता है,
किसी को हसीन बना इस हद तक,
की उसकी हद भी हो कुछ हद तक,
कमबख्त ये मुस्कुराता है तो,
मुझ जैसा शायर भी मर जाता है,
क्या अदा क्या बनावट और
क्या ही खूबसूरती है इसकी,
इसको हंसता देखने के लिए,
कुछ पल वक्त भी ठहर जाता है,
इसका लहजा भी वो लहजा है,
की अब और क्या कहें,
चांद आसमां में सिमट कर,
जैसे रात को अपने घर जाता है
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